बुधवार, 14 दिसंबर 2011

सजती रात में जचता चाँद

सजाने चले थे,
सजने के बहाने !
सजना ना आया !!
सजाना कैसे आता?

ना सज पाए,
ना सजा पाए!
इसी बीच कोई और सजकर निकला यूँ,
जैसे
सजती रात में जंचता चंद्रमा हो!
उसको सजकर आता देखा तो,
जिसको सजाने चले थे ,
उसकी उलाहना ही मिल गई!

अरे भैया!!
कह दिया होता--
खुद सजने आये थे तुम्हे सजाने के बहाने!
तुम्हे सजाना तो कभी मकसद नहीं था मेरा!
जितना दुःख तुम्हे है,
उससे ज्यादा दर्द यहाँ हैं!

जो खुद का ना सजा पाया ,
उससे बड़ा बदसूरत कौन होगा!
ये पंक्तिया लिखी और जीवन का एक अद्भुत सत्य सामने आया...
आज पहली बार अपनी कलम की प्रसंशा करने का मन  हुआ!
मेरे कुछ हिंदी में कमजोर दोस्त शायद यहाँ लिखी पंक्तियों में छिपा रहस्य नहीं समझ पाए!
सोचा क्यों ना उनके लिए थोड़ी व्याख्या कर दी जाए सरल हिंदी में!
वैसे भी स्कूल में मुझे हिंदी और संस्कृत की अध्यापिका से व्याख्या के मामले में काफी प्रसंशा मिलती थी! :P
हाँ तो एक बालक जब पैदा होता है, तो भगवान् उसे तन-मन-बुधि देता है...
और कहता है की "लो, सजने के लिए सारी सामग्री दे दी है! इसका उपयोग करो और सुन्दर ----अतिसुन्दर----सर्वसुन्दर बन कर दिखलाओ!"
लेकिन उसके पैदा होने के साथ ही ना जाने कितने सगे-सबंधियो, मित्रो, भाई-बहनों को लगता है कि ये हमें सजाने आया है!
हमारा मान बढ़ने आया है!
चलो कोई नहीं बहाना उन्हें सजाने का रहता है, लेकिन इसकी आड़ में में वह स्वयं को ही सजाने का प्रयत्न करता है!

{अच्छा जी ---अब आप कहोगे जब व्याख्या ही कर रही हो तो ये सजना या सजाना है, इसका अर्थ तो बतलाओ!
ये तो आप ही जानो कि आप क्या सजाना चाहते हो, और क्यों?
हर एक के लिए इस सजने की अलग परिभाषा है!}

अब देखिये---अगर हम ना सज पाए, उससे पहले कोई और सज कर निकल गया तो---सभी रिश्तेदार, माँ-पापा, भाई-बहन कहेगे-अरे तुमने ये नहीं किया? हमारा मान गिरा दिया! तुम इतना नहीं कर पाए? और उलाहना देंगे ! तो 
जवाब देना---अरे भैया!!
कह दिया होता--
खुद सजने आये थे तुम्हे सजाने के बहाने!
तुम्हे सजाना तो कभी मकसद नहीं था मेरा!
जितना दुःख तुम्हे है,
उससे ज्यादा दर्द यहाँ हैं!

आखिर में दो पंक्तियाँ--

शायद इन्हें समझाने की जरुरत नहीं पड़ेगी---
जो खुद का ना सजा पाया ,
उससे बड़ा बदसूरत कौन होगा!?
उम्मीद ही नहीं विश्वास है कि अप सब को समझ आया होगा!

इसी लेख के ख़त्म होने के साथ सारे बादल भी उड़ गए!
अब आसमान साफ़ नजर आ रहा है!

धन्यवाद!

गूंज झाझारिया





7 टिप्‍पणियां:

  1. शब्दों का बहुत ही सुंदर संयोजन किया है आपने शुभकामनायें...सार्थक अभिव्यक्ति

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  2. मन की संवेदना को विस्तृत रूप दिय है आप ने, बहुत सुन्दर भाव हैं, शव्दों का सुन्दर चयन, कल्पना तो आप की सरहनीय है ही ! ईस्वर आप की इस सुन्दर लेखनी की बौछारें सम्पूर्ण जगत में फैलाये येही हमारी दुवायें हैं, आप की लेखनी के लिए हमारी शुभकामनायें

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  3. सहृदय धन्यवाद "फरियादी" जी ...
    हमेशा जरुरत रहेगी आपकी शुभकामनाओं की

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  4. पम्मी उर्फ़ सुनीता दी....
    धन्यवाद..
    अच्छा लगा आपको मजा आया तो मेरे सजाने से..
    यूँ ही अप सजती रहे...:)
    मैं सजाती रहूगी ..

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  5. मैं सजाती रहूगी ..

    पल्लवी दी...
    धन्यवाद आपका...

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