मंगलवार, 26 नवंबर 2013

26/11

26/11 है।। कॉलेज के विद्यार्थियों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया।। जिस विद्यार्थी ने मंच का संचालन किया, उसने याद दिलाया कि कितने शहीद हुए, तब हम मुंबई को बचा पाए।।। हर साल, हर दिन कितने ही वीर शहादत देते हैं।।। पर हमें कहाँ वक़्त की 2 मिनट रुक उन्हें श्रधांजलि दे। कम से कम उनके परिवार को तो सुकून मिले, उनके अपनों को हम याद करते हैं।।
आज खुद से खिन्नता हुई।। अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने का दावा करने वाली "गूंज" ये कैसे भूल गई।।
देर आये पर दुरुस्त आये।।
उन सभी परिवारों को मेरा नमन, भीगी पलकों से ही सही , पर अपने अपनों को हमारी हिफाजत में भेजा।। जो वो न होते, तो मेरा क्या अस्तित्व था।।।
नमन
गुंजन झाझारिया

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